जिंदगी एक दरिया की तरह है, जहाँ हर कोई उन्मुक्त लहरों की तरह प्रवाहमान है। इलाहाबाद में संगम तट पर सुबह-सुबह नौका-विहार करना स्वयं में एक सुखद अनुभूति है। ऐसे में यदि आपके समानांतर बत्तखों का झुंड भी तैरता रहे तो यह अनुभूति दुगुनी हो जाती है। इस अहसास को ही यहाँ महसूस करें।
14 टिप्पणियां:
एक अहसास प्रयाग का, संगम तट का, फिर नौका-विहार का. खूबसूरत चित्र है.
खूबसूरत भाव..बधाई !!
very nice picture
good luck
take care
Kya seen hai...Prayag ki to mahima hi nirali hai.
Adbhut......
WAITING FOR NEW POSTS...
Adbhut....Happy X-mas.
ब्लाग की दुनियाँ में स्वागत है आपका...
word verification hta den isse tippani karne walon ko paresani hoti hai.
... छा गये !
नववर्ष की शुभकामनाएँ
PYAR KA SANDESH DETA YE PAKSHI.....BAHUT SUNDAR
NAYA SAAL AAPKE LIYE,AAPKE PARIWAAR KE LIYE,AAPKE DOSTO KE LIYE AUR AAPKE CHAHNE WAALO KE LIYE DHER SAARI KHUSHIYA LEKAR AAYE.....
YUVA JOSH
कुछ रहे वही दर्द के काफिले साथ
कुछ रहा आप सब का स्नेह भरा साथ
पलकें झपकीं तो देखा...
बिछड़ गया था इक और बरस का साथ...
नव वर्ष की शुभ कामनाएं..
bahut badiyaa bdhaai
Wahh,
Ratnesh Ji
Chitron ki khubsurati prasnshniya hai. Hardik Badhai.
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