गुरुवार, नवंबर 27, 2008

एक अहसास

जिंदगी एक दरिया की तरह है, जहाँ हर कोई उन्मुक्त लहरों की तरह प्रवाहमान है। इलाहाबाद में संगम तट पर सुबह-सुबह नौका-विहार करना स्वयं में एक सुखद अनुभूति है। ऐसे में यदि आपके समानांतर बत्तखों का झुंड भी तैरता रहे तो यह अनुभूति दुगुनी हो जाती है। इस अहसास को ही यहाँ महसूस करें।

14 टिप्‍पणियां:

KK Yadav ने कहा…

एक अहसास प्रयाग का, संगम तट का, फिर नौका-विहार का. खूबसूरत चित्र है.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

खूबसूरत भाव..बधाई !!

Dr. Nazar Mahmood ने कहा…

very nice picture
good luck
take care

बेनामी ने कहा…

Kya seen hai...Prayag ki to mahima hi nirali hai.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

Adbhut......

Amit Kumar Yadav ने कहा…

WAITING FOR NEW POSTS...

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

Adbhut....Happy X-mas.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

ब्‍लाग की दुनियाँ में स्‍वागत है आपका...
word verification hta den isse tippani karne walon ko paresani hoti hai.

कडुवासच ने कहा…

... छा गये !

Vinay ने कहा…

नववर्ष की शुभकामनाएँ

Arvind Gaurav ने कहा…

PYAR KA SANDESH DETA YE PAKSHI.....BAHUT SUNDAR
NAYA SAAL AAPKE LIYE,AAPKE PARIWAAR KE LIYE,AAPKE DOSTO KE LIYE AUR AAPKE CHAHNE WAALO KE LIYE DHER SAARI KHUSHIYA LEKAR AAYE.....
YUVA JOSH

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

कुछ रहे वही दर्द के काफिले साथ
कुछ रहा आप सब का स्‍नेह भरा साथ
पलकें झपकीं तो देखा...
बिछड़ गया था इक और बरस का साथ...

नव वर्ष की शुभ कामनाएं..

निर्मला कपिला ने कहा…

bahut badiyaa bdhaai

S R Bharti ने कहा…

Wahh,
Ratnesh Ji
Chitron ki khubsurati prasnshniya hai. Hardik Badhai.