बुधवार, मार्च 30, 2016

हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं को विज्ञान तथा तकनीकी क्षेत्र में विकसित करने के लिए सुनियोजित प्रयास की जरूरत- कृष्ण कुमार यादव

भूमण्डलीकरण के दौर में तकनीकी शब्दावली की अधिकाधिक आवश्यकता है। दुनिया में जापान, फ्रांस जैसे तमाम विकसित देश अपनी भाषा के माध्यम से तकनीक के सिरमौर बने हुए हैं, ऐसे में  अपनी सभ्यता, विरासत और संस्कृति की अच्छी चीजों को सहेजकर ही विज्ञान को उन्नत बनाया जा सकता है और मौलिक चिन्तन व  आविष्कार की स्वतंत्रता के लिए स्वयं की भाषा को ही वरीयता देना होगा। उक्त उद्गार चर्चित हिंदी लेखक व ब्लॉगर  एवं राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली एवं हिंदी विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर द्वारा एम. बी. एम. इंजीनियरिंग कॉलेज के इंटरनेशनल सभागार में 27 मार्च, 2016 को आयोजित ''उच्च शिक्षा में तकनीकी शब्दावली का प्रयोग'' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।

अपने सारगर्भित उद्बोधन  में निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि  भूमण्डलीकरण, उदारीकरण, उन्नत प्रौद्योगिकी एवं सूचना-तकनीक के बढ़ते इस युग में यदि सबसे बड़ी चुनौती भाषा के लिए पैदा हुई है तो इसी चुनौती स्वरूप भाषाओं का विकास भी हुआ है। हिन्दी और अन्य भारतीय भाषायें उच्च शिक्षा का माध्यम न होने के कारण भाषा के स्वाभाविक विकास की प्रक्रिया से लम्बे समय तक दूर रहीं हैं। इसलिए हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं को विज्ञान तथा तकनीकी क्षेत्र में विकसित करने के लिए सुनियोजित प्रयास की जरूरत है।

      श्री यादव ने कहा कि हमारे देश के पास प्राचीन समय से ही अपार सम्पदा के रूप में शब्दावली मौजूद है उसको सुरक्षित और संरक्षित रखने की आवश्यकता है। विदेशी भाषा का ज्ञान रखना जो लोग शान समझते है उन्हें अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए क्योंकि भाषा हमारे मूल्यों, परम्पराओं और संस्कृति का संरक्षण करती है। निज भाषा में इनका संरक्षण संभव है। अपने महान ग्रंथों से मोती चुनकर, दुनिया की तमाम भाषाओँ में लिखे जा रहे शोधकार्यों को अपनी मातृभाषा में अनुवादित कर, विज्ञानं और प्रौद्योगिकी को सहज रूप में अपनी मातृभाषा के माध्यम से लोगों में विस्तारित करके, उच्च शिक्षा में अपनी भाषा में मौलिक शोधों को बढ़ावा देकर और तकनीक को हौव्वा की बजाय दिनचर्या और नवाचार से जोड़कर इसे और भी समृद्ध बनाया जा सकता है। श्री यादव ने कहा कि आम आदमी की भाषा विज्ञान और तकनीक की भाषा से पृथक हो सकती है पर इसका तात्पर्य यह नहीं कि जनसामान्य की भाषा में विज्ञान और तकनीक की बातें नहीं समझाई जा सकतीं। बस जरूरत हमें अपनी सोच और कार्य प्रणाली बदलने की है। 

     कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्रो. सुधि राजीव, अधिष्ठाता कला, शिक्षा एवं समाज विज्ञान संकाय,जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय , जोधपुर ने कहा कि भाषा मनुष्य होने का प्रमाणिक दस्तावेज है जो हमारी और हमारे राष्ट्र की पहचान कराती है। हर भाषा अपने व्यक्तित्व का स्वरूप होती है यह वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से पल्लवित और पोषित है। 

       सारस्वत वक्ता के रूप में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली के सहायक निदेशक इंजी. मोहन लाल मीना ने वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग की कार्यप्रणाली व उसके उद्देश्यों के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि  विज्ञान व तकनीकी विषयों में हिन्दी शब्दों का प्रयोग प्रारम्भ में कठिन प्रतीत होते है लेकिन सतत् प्रयोग से इन्हें आसानी से समझा व प्रयोग में लाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि विषय के विकास हेतु अनुकूल शब्दावली की आवश्यकता होती है। आयोग के ही जय सिंह रावत ने तकनीकी शब्दावली का प्रयोग के सरलीकरण पर प्रकाश डाला। 

           
कार्यक्रम के  प्रारम्भ में कार्यशाला के संयोजक प्रो. श्रवण कुमार मीना ने कार्यशाला की रूपरेखा बताते हुए समस्त अतिथियों का स्वागत किया तथा हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. देवेन्द्र कुमार सिंह गौतम ने धन्यवाद ज्ञापित किया संचालन डाॅ. कामिनी ओझा ने किया।  इस दौरान विभिन्न प्रांतों से आए हुए वैज्ञानिक, शिक्षक गण, विद्व्त जन एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।  उद्घाटन सत्र के बाद विभिन्न वक्ताओं ने  उच्च शिक्षा में तकनीकी शब्दावली के  प्रयोग पर अपने विचार व्यक्त किये।

           

रविवार, जून 28, 2015

ब्लॉगर-लेखिका आकांक्षा यादव “परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान“ से सम्मानित

अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन, कोलोम्बो-श्री लंका में  चर्चित ब्लॉगर-लेखिका आकांक्षा यादव को वर्ष 2015 के लिए सार्क देशों में दिए जाने वाले शीर्ष सम्मान “परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान“ से सम्मानित किया गया। 25 मई 2015 को  आयोजित इस पंचम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में आकांक्षा यादव को श्रीलंका के वरिष्ठ नाट्यकर्मी डॉन सोमरथ्न विथाना एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री  श्री नकुल दूबे द्वारा अंगवस्त्र, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह और 21000/- की धनराशि सम्मान स्वरुप  प्रदान की गई । इस अवसर पर ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया में महिलाओं की भूमिका पर आकांक्षा यादव ने प्रभावी व्याख्यान भी दिया। आकांक्षा यादव राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के  निदेशक डाक सेवाएं  श्री कृष्ण कुमार यादव की पत्नी हैं, जो की स्वयं चर्चित ब्लॉगर और साहित्यकार हैं। उक्त जानकारी अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स कांफ्रेंस के संयोजक  रवीन्द्र प्रभात ने दी।

       संयोजक  रवीन्द्र प्रभात ने बताया कि आकांक्षा यादव  ने वर्ष 2008 में ब्लाॅग जगत में कदम रखा और विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाॅग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लाॅगिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लाॅगिंग को भी नये आयाम दिये। “शब्द-शिखर“ (http://shabdshikhar.blogspot.in) इनका प्रमुख ब्लॉग है, जो कि हिंदी के लोकप्रिय ब्लॉगों में गिना जाता है।  नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रुचि रखने वाली आकांक्षा यादव अग्रणी महिला ब्लॉगर हैं और इनकी रचनाओं में नारी-सशक्तीकरण बखूबी झलकता है। इनके ब्लॉग को अब तक लाखों लोगों ने पढा है और करीब सौ ज्यादा देशों में इन्हें देखा-पढा जाता है। 

         
गौरतलब है कि आकांक्षा यादव को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इससे पूर्व भी ब्लॉगिंग हेतु तमाम प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा  “अवध सम्मान“, हिंदी ब्लॉगिंग के दशक वर्ष में  “दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति“ का सम्मान, नेपाल में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन में “परिकल्पना  ब्लॉग विभूषण सम्मान“ से सम्मानित किया जा चुका है।  इसके अलावा विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘डाॅ. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘ व ‘‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ’भारती ज्योति’, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली द्वारा मनोहरादेवी स्मृति सम्मान सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु दर्जनाधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं ।

शनिवार, जून 27, 2015

हिंदी ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया ने महिलाओं को दिया खुलकर अपनी बात रखने का व्यापक मंच

हिंदी ब्लॉगिंग  ने महिलाओं को खुलकर अपनी बात रखने का व्यापक मंच दिया है। तभी तो ब्लाॅगिंग का दायरा परदे की ओट से बाहर निकल रहा है। इनमें प्रशासक, डाक्टर, इंजीनियर, अध्यापक, विद्यार्थी, पर्यावरणविद, वैज्ञानिक, शिक्षाविद्, समाजसेवी, साहित्यकार, कलाकार, संस्कृतिकर्मी, रेडियो जाकी से लेकर सरकारी व कारपोरेट जगत तक की महिलाएं शामिल हैं। कामकाजी महिलाओं के साथ-साथ गृहिणियां भी इसमें खूब हाथ आजमा रही हैं। महिलाओं में हिन्दी ब्लागिंग आरम्भ करने का श्रेय इन्दौर की पद्मजा को है, जिन्होंने वर्ष 2003 में ‘कही अनकही‘ ब्लाग के माध्यम से इसकी शुरूआत की। पद्मजा उस समय ‘वेब दुनिया‘ में कार्यरत थीं। उक्त उद्गार चर्चित हिंदी ब्लॉगर लेखिका आकांक्षा यादव ने कोलम्बो (श्री लंका) के कॉनकॉर्ड ग्रैंड होटल में 25 मई, 2015  को हुए अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में "हिंदी ब्लॉगिंग की समृद्धि में महिलाओं का योगदान" विषय पर आयोजित परिचर्चा में  व्यक्त किये। 

परिचर्चा में विषय-प्रवर्तन करते हुए आकांक्षा यादव ने  कहा कि 21वीं सदी नारी-सशक्तिकरण की है, बेटियों की है।  हर क्षेत्र में नारियाँ बुलंदियों को छू रही हैं, नए आयाम गढ़ रही हैं, फिर भला ब्लॉगिंग का क्षेत्र कैसे अछूता रह जाता।  आज एक चौथाई से ज्यादा हिंदी ब्लॉग महिलाओं द्वारा संचालित हैं। आज की महिला यदि संस्कारों और परिवार की बात करती है तो अपने हक के लिए लड़ना भी जानती है। ऐसे में नारियों के ब्लॉग पर स्त्री की कोमल भावनाएं हैं तो दहेज, भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा, आनर किलिंग, सार्वजनिक जगहों पर यौन उत्पीड़न, लिव-इन-रिलेशनशिप, महिला आरक्षण, सेना में महिलाओं के लिए कमीशन, न्यायपालिका में महिला न्यायधीशों की अनदेखी, फिल्मों-विज्ञापनों इत्यादि में स़्त्री को एक ‘आबजेक्ट‘ के रूप में पेश करना, साहित्य में नारी विमर्श के नाम पर देह-विमर्श का बढ़ता षडयंत्र, नारी द्वारा रुढि़यों की जकड़बदी को तोड़ आगे बढ़ना....जैसे तमाम विषयों के बहाने स्त्री के ‘स्व‘ और ‘अस्मिता‘ को तलाशता व्यापक स्पेस भी है। साहित्य की विभिन्न विधाओं से लेकर प्रायः हर विषय पर सशक्त लेखन और संवाद स्थापित करती महिला हिंदी ब्लागर, ब्लागिंग जगत में काफी प्रभावी हैं। आकांक्षा यादव ने जोर देकर कहा कि आज  ब्लॉग स्त्री आन्दोलन, स्त्री विमर्श, महिला सशक्तिकरण और नारी स्वातंत्र्य के हथियार के रूप में भी उभरकर सामने आया है। यहाँ महिला की उपलब्धि भी है, कमजोरी भी और बदलते दौर में उसकी बदलती भूमिका भी। 

इस अवसर पर लखनऊ से प्रकाशित रेवांत पत्रिका की संपादक डॉ. अनीता श्रीवास्तव ने कहा कि महिलाएँ ब्लॉगिंग के क्षेत्र में मुखरता के साथ लिख रही हैं और वे पुरुषों के वर्चस्व को तोड़ रही हैं | हिन्दी ब्लागिंग में महिलाओं की सक्रियता सिर्फ भारत तक ही नहीं बल्कि विदेशों तक विस्तारित है। कवयित्री और ब्लॉगर सुनीता प्रेम यादव (औरंगाबाद) ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज भारत ही नहीं दुनिया के हर कोने में महिलाओं द्वारा हिंदी में बड़ी सक्रियता से साथ ब्लॉग लिखे जा रहे हैं। उन्होंने ब्लॉगिंग और हिंदी साहित्य को जोड़ते हुए यह भी चेताया कि  आज मूल्य आधारित लेखन की जरूरत है, जिसके अभाव में ब्लॉगिंग अपनी प्रासंगिकता खो देगा। रायपुर (छतीसगढ़) से आयी डॉ. उर्मिला शुक्ल ने ब्लॉगिंग और सोशल मिडिया की  विसंगतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि हम हजारों मील  दूर बैठे मित्रों से तो बात कर लेते है किन्तु अपने घर बैठे सदस्यों से संवाद नहीं स्थापित कर पाते |


डॉ अर्चना श्रीवास्तव, (प्राचार्य, स्नातकोत्तर महाविद्यालय, चंदौली) ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि हर महिला-ब्लागर का अपना अनूठा अंदाज है, अपनी विशिष्ट प्रस्तुति है। ब्लागिंग में हर क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं अपनी अभिव्यक्तियों को विस्तार दे रही हैं, अतः इनका दायरा भी व्यापक है। आज महिलाएँ हर विधा मसलन कविता, कहानी, लघुकथा, संस्मरण, यात्रा-वृतांत, आप-बीती, निबंध इत्यादि में लिख रही हैं। इन ब्लॉगों की  श्रेणियाँ भी विवध हैं और सन्दर्भ विषय भी राजनैतिक, सामाजिक, साहित्यिक आदि सभी को समेटे हुए हैं। 

सोमवार, जनवरी 26, 2015

भूटान में हुए हिंदी ब्लॉगर सम्मानित : कृष्ण कुमार यादव को “परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान’’


 चर्चित ब्लाॅगर व साहित्यकार एवं सम्प्रति इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव को हिंदी साहित्य और ब्लाॅग पर संस्मरणात्मक सृजन के लिए 15-18 जनवरी 2015 के दौरान भूटान की राजधानी थिम्पू में आयोजित चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन में ब्लाॅगिंग हेतु सर्वोच्च “परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान’’ से सम्मानित किया गया। श्री यादव को उक्त सम्मान भूटान चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के जनरल सेक्रेटरी श्री फूप श्रृंग एवं इंटरनेशनल स्कूल ऑफ भूटान तथा सार्क समिति ऑफ विमेन ऑर्गनाइजेशन  की अध्यक्ष श्रीमती थिनले लम्हा द्वारा दिया गया। सम्मान के तहत 25,000 रूपये की धनराशि, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह, श्रीफल और अंगवस्त्रम  देकर श्री कृष्ण कुमार यादव को सम्मानित किया गया। उक्त जानकारी सम्मलेन के संयोजक श्री रवीन्द्र प्रभात ने दी। 


राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ 7 पुस्तकों के लेखक एवं हिन्दी ब्लाॅगिंग व सोशल मीडिया को नये आयाम देनेवाले श्री कृष्ण कुमार यादव को इससे पूर्व भी शताधिक प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। श्री यादव ने वर्ष 2008 में ब्लाॅग जगत में कदम रखा और विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाॅग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लाॅगिंग की तरफ प्रवृत्त किया। कृष्ण कुमार यादव के दो व्यक्तिगत ब्लॉग हैं। इनमें “शब्द सृजन की ओर“ (http://kkyadav.blogspot.com) ब्लॉग सामयिक विषयों, मर्मस्पर्शी कविताओं व जानकारीपरक, शोधपूर्ण आलेखों से परिपूर्ण है; वहीं “डाकिया डाक लाया“ (http://dakbabu.blogspot.com) डाक सेवाओं की रोचक दुनिया को सहेजता है। इन ब्लॉग  को अब तक लाखों लोगों ने पढ़ा है और करीब सौ ज्यादा देशों में इन्हें देखा-पढ़ा जाता है।

     गौरतलब है कि श्री कृष्ण कुमार यादव यादव सिर्फ व्यक्तिशः नहीं बल्कि सपरिवार ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में सशक्त दखल रखते हैं। उनकी सुपुत्री अक्षिता (पाखी) को जहाँ भारत सरकार द्वारा ब्लाॅगिंग के लिए राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है, वहीं पत्नी आकांक्षा यादव भी अग्रणी महिला ब्लॉगर हैं। यादव दम्पति को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा “अवध सम्मान“, हिंदी ब्लॉगिंग के दशक वर्ष में सपत्नीक “दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति“ का सम्मान एवं नेपाल में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन में भी सम्मानित किया जा चुका है।  

       सम्मेलन के दौरान वैश्विक परिप्रेक्ष्य विशेषकर सार्क देशों में हिन्दी के पठन-पाठ्न, हिन्दी साहित्य के प्रचार-प्रसार, न्यू मीडिया के रूप में ब्लॉगिंग के विभिन्न आयामों एवं बदलते दौर में सोशल मीडिया की भूमिका इत्यादि विषयों पर भी चर्चा हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भूटान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव श्री फूब शृंग ने कहा कि भूमण्डलीकरण के इस दौर में विभिन्न देशों के साहित्य, संस्कृति एवं परिवेश को ब्लागिंग और सोशल मीडिया के माध्यम से न सिर्फ महसूस किया जा सकता है बल्कि उसे विस्तार भी दिया जा सकता है। उन्होंने  भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं राष्ट्रपति की हालिया भूटान यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि भूटान में अंतर्राष्ट्रीय  ब्लागर सम्मेलन को भी उसी कड़ी  में देखने की जरूरत है। सार्क समिति के महिला विंग  की अध्यक्ष श्रीमती थिनले ल्हाम ने कहा कि नारी सशक्तीकरण पर आज विश्व भर में चर्चा हो रही है और ऐसे में सार्क देशों में ब्लागिंग से जुडी तमाम महिलाओं को देखना एक सुखद एहसास देता है। 

इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ और ब्लॉगर श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि ब्लॉगिंग  न सिर्फ देशों और भाषाओं के बीच दूरियाॅं कम करती है बल्कि यह विभिन्न प्लेटफार्म पर काम कर रहे लोगों के विचारों को एकाकार रूप में देखने की सहूलियत भी देती है । ब्लागिंग व सोशल मीडिया के समाजिक सरोकारों पर चर्चा करते हुए इसे उन्होंने  दूर दराज के इलाकों तक भी जोडने की बात कही। असम विश्वविद्यालय सिल्चर के भाषा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर नित्यानन्द पाण्डेय  ने कहा कि हिन्दी को समृद्ध करने में ब्लागिंग का महत्वपूर्ण योगदान है और इसके माध्यम से दुनिया भर के लोग हिन्दी से जुड रहे हैं। वरिष्ठ व्यंग्यकार गिरीश पंकज ने अपने उद्बोधन में हिंदी ब्लॉगिंग के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करते हुए इसे पुस्तकाकार रूप में भी लिपिबद्ध करने की बात कही। 

सम्मेलन के संयोजक श्री रवीन्द्र प्रभात ने कहा कि भूटान में अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉग सम्मलेन आयोजित करने के पीछे उद्देश्य हिंदी संस्कृति को भूटानी संस्कृति के करीब लाना और हिंदी भाषा को यहाँ के वैश्विक वातावरण में प्रतिष्ठापित करना है। उन्होंने बताया कि सम्मेलन का मूल उद्देश्य दक्षिण एशिया में ब्लॉग के विकास हेतु पृष्ठभूमि तैयार करना, हिंदी-संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना, भाषायी सौहार्द्रता एवं सांस्कृतिक अध्ययन-पर्यटन का अवसर उपलब्ध कराना है। 


‘‘अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन‘‘ के दौरान  उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से ब्लॉगर और साहित्यकार एवं निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव, हैदराबाद की सम्पत देवी मुरारका और रायपुर छतीसगढ़ के ललित शर्मा को  सर्वोच्च 'परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान' से नवाजा गया। इस सम्मान के अंतर्गत उन्हें 25,000 की धनराशि, स्मृति चिन्ह, सम्मान-पत्र और अंगवस्त्र प्रदान किए गए। साथ ही महाराष्ट्र के औरंगाबाद की अनुवादक सुनीता प्रेम यादव को परिकल्पना सार्क सम्मान प्रदान किया गया। इस सम्मान के अंतर्गत उन्हें पाँच  हजार की धनराशि, स्मृति चिन्ह, सम्मान-पत्र और अंगवस्त्र प्रदान किए गए। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के जनपदों मसलन सुल्तानपुर के डॉ राम बहादुर मिश्र को परिकल्पना साहित्य भूषण सम्मान, बाराबंकी के  एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन व डॉ विनय दास को क्रमशः परिकल्पना सोशल मीडिया सम्मान और परिकल्पना कथा सम्मान, लखनऊ की कुसुम वर्मा को परिकल्पना लोक-संस्कृति सम्मान, बहराइच के डॉ अशोक गुलशन को परिकल्पना हिन्दी गौरव सम्मान, रायबरेली से सूर्य प्रसाद शर्मा को परिकल्पना साहित्य सम्मान तथा हैदरगढ के ओम प्रकाश जयंत व विष्णु कुमार शर्मा को क्रमशः को परिकल्पना साहित्य श्री सम्मान व परिकल्पना सृजन श्री सम्मान तथा उन्नाव के विश्वंभरनाथ अवस्थी को परिकल्पना नागरिक सम्मान प्रदान किए गए। इसके अलावा इंदौर के प्रकाश हिन्दुस्तानी, रायपुर के गिरीश पंकज, अल्पना देशपांडे, अदिति देशपांडे, दिल्ली की सर्जना शर्मा और निशा सिंह, मुंबई से आलोक भारद्वाज, सिल्चर की डॉ शुभदा पाण्डेय आदि के साथ-साथ  देश-विदेश के लगभग तीस ब्लॉगर्स को विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए परिकल्पना सम्मान से नवाजा गया। 

इस अवसर पर पांच पुस्तकों क्रमशः संपत देवी मुरारका की यात्रा वृत्त तृतीय भाग, कुसुम वर्मा की ह्रदय कँवल, सूर्य प्रसाद शर्मा निशिहर की संघर्षों का खेल, विष्णु कुमार शर्मा की दोहावली, अशोक गुलशन की क्या कहूँ किससे कहूँ और परिकल्पना समय पत्रिका के जनवरी अंक के विमोचन के साथ-साथ परिकल्पना कोश  वेबसाईट का लोकार्पण हुआ, वहीं रायपुर छत्तीसगढ़ की अल्पना देशपांडे और अदिति देशपांडे की कलाकृतियों की प्रदर्शनी का लोकार्पण संपन्न हुआ।  इस अवसर पर कुसुम वर्मा के अवधी लोकगीतों की खुशबू में नहाई भूटान की एक शाम। डॉ राम बहादुर मिश्र के कुशल संचालन में सुर सरस्वती और संस्कृति की त्रिवेणी प्रवाहित करती काव्य संध्या और ब्लॉग पर हाशिए का समाज परिचर्चा में शामिल हुए भारत और भूटान के एक दर्जन से ज्यादा ब्लोगर्स। कार्यक्रम का  संचालन महाराष्ट्र के औरंगाबाद निवासी श्रीमती सुनीता प्रेम यादव ने किया।


रविवार, मई 18, 2014

प्रयाग प्रेस क्लब द्वारा आयोजित समारोह में डाक निदेशक के के यादव ने 151 पत्रकारों को वितरित किया बीमा बांड

पत्रकार लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ के पहरुए हैं और उनकी सुरक्षा बेहद जरुरी है। यह एक अजीब संयोग है कि जो पत्रकार लोगों की आवाज़ उठाते हैं, अपने ही मामले में शांत रह जाते हैं।  उक्त उद्गार हिंदुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद में 14 मई, 2014 को  'प्रयाग प्रेस क्लब’ एवं 'उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा)' के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं एवं चर्चित साहित्यकार व् सोशल मीडिया एक्टिविस्ट श्री कृष्ण कुमार यादव ने व्यक्त किया। श्री यादव ने कहा कि प्रयाग प्रेस क्लब ने जिस कार्य के लिए इस संगठन का गठन किया है, वह बहुत ही सराहनीय कार्य है। आज पत्रकारों की सबसे अहम समस्या आवास की है और ऐसे पत्रकारों को आवास उपलब्ध कराने का जो बीड़ा प्रयाग प्रेस क्लब ने उठाया है, वह काबिलेतारीफ है। इस अवसर पर प्रयाग प्रेस क्लब’ की तरफ से  अध्यक्ष श्री पवन कुमार द्विवेदी ने श्री कृष्ण कुमार यादव का माल्यापर्ण द्वारा एवं शाल ओढ़ाकर सम्मान भी किया। कार्यक्रम के दौरान इलाहाबाद परिक्षे़त्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने  शहर के कई वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित किया । 

प्रयाग प्रेस क्लब के अध्यक्ष पवन कुमार द्विवेदी और महामंत्री भूपेश सिंह ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव के अलावा  वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार आनन्द नारायण शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार के सी मौर्या, नचिकेता नारायण, संजय कुमार को माल्यार्पण कर एवं शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार शुक्ला ने कहा कि आज पत्रकारों की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण हो गयी है, प्रयाग प्रेस क्लब की ओर से पत्रकारों का जो दुर्घटना बीमा कराया गया है, वह वास्तव में संगठन का सराहनीय कार्य है। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार आनन्द नारायण शुक्ला, के सी मौर्या, नचिकेता नारायण ने कहा कि यह ऐसा पहला पत्रकार संगठन है, जिसने पत्रकारों के हित के बारे में सोचा है। प्रयाग प्रेस कलब के अध्यक्ष, महामंत्री समेत सभी पदाधिकारी इसके लिए धन्यवाद के पात्र हैं। प्रयाग प्रेस क्लब के अध्यक्ष पवन कुमार द्विवेदी ने नवगठित प्रयाग प्रेस क्लब के बारे में बताते हुए आगामी योजनाओं की घोषणा की। 

मुख्य अतिथि इलाहाबाद परिक्षे़त्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने  इस मौके पर तमाम पत्रकारों और फोटो जर्नलिस्ट्स को बीमा बांड वितरित किया। मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों के हाथों बीमा बांड ग्रहण करने वालों में वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश मिश्रा, पवन कुमार द्विवेदी, भूपेश सिंह, कुन्दन श्रीवास्तव, संजय कुमार, संदीप कुमार दुबे, सूर्य प्रकाश त्रिपाठी, वरिष्ठ छायाकार विभु गुप्ता, रंजन मिश्रा, नवीन सारस्वत, अनुराग शुक्ला, जितेन्द्र प्रकाश, भीम सिंह यादव, अनूप रावत, सत्यम श्रीवास्तव, दिलीप गुप्ता, विनोद कुमार, पत्रकार नागेन्द्र सिंह, अंजनी श्रीवास्तव, विद्याकांत मिश्रा, मनीष द्विवेदी, अमरदीप चौधरी, संतोष जायसवाल, वीरेन्द्र द्विवेदी, अनुराग तिवारी, गौरव केशरवानी, चन्द्रशेखर सेन, देवेन्द्र त्रिपाठी, संतोष तिवारी, सलीम अहमद, प्रदीप गुप्ता, रोहित शर्मा, अमरजीत सिंह, इरफान खान समेत 151 पत्रकार शामिल हैं। वहीं इस मौके पर अतिथियों को उपजा द्वारा प्रकाशित डायरेक्टरी भी वितरित की गयी। समारोह का संचालन वरिष्ठ पत्रकार मनीष द्विवेदी एवं धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष पवन कुमार द्विवेदी ने किया। 

गुरुवार, अक्तूबर 24, 2013

नवोदय विद्यालय समिति द्वारा आयोजित ”प्रज्ञानम-2013” में छात्र-छात्राओं ने किया प्रतिभा का प्रदर्शन

शिक्षा साहित्य, कला और संस्कृति किसी भी राष्ट्र को अग्रगामी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। ऐसे में जरुरत है कि युवा पीढ़ी इनसे अपने को जोड़े और राष्ट्र की प्रगति में अपना योगदान स्थापित करे। उक्त उद्गार इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने नवोदय विद्यालय समिति, लखनऊ सम्भाग द्वारा 21 अक्टूबर 2013 को लखनऊ में गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी के प्रेक्षागार में आयोजित ”प्रज्ञानम-2013” में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि किताबी शिक्षा को व्यवहारिक ज्ञान से जोड़ना बहुत जरूरी है और इसके लिए जरूरी है अभिरुचियाँ विकसित की जाये।

नवोदय विद्यालय समिति द्वारा आयोजित ”प्रज्ञानम-2013” कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने सृजनात्मक और रचनात्मक प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। प्रज्ञानम में छात्र-छात्राओं की एक से बढ़कर एक प्रतिभा उभरकर सामने आयी। जहां एक ओर छात्राओं ने मंच पर आकर्षण नृत्य प्रस्तुत कर ’प्रज्ञानम-2013’ को यादगार बनाया, वहीं अपने हाथों से बनायी मूर्तियों, फ्लावर पाट एवं अन्य सजावटी समानों से शिल्पकारी का भी बखूबी परिचय दिया। इसके अलावा छात्र-छात्राओं ने कविता पाठ, वाद-विवाद, गायन, वादन, निबंध लेखन, आन द स्पाट पेंटिंग जैसी अन्य कलात्मक प्रतियोगिताओं में भी जमकर हाथ आजमाया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 19 जवाहर नवोदय विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में विजयी छात्रों को अगले महीने दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिलेगा। 

    इस अवसर पर नवोदय विद्यालय समिति, लखनऊ संभाग द्वारा आयोजित चित्र प्रदर्शनी का फीता काटकर इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं, कृष्ण कुमार यादव ने उद्घाटन किया। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। इससे पूर्व श्री यादव ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर और दीप प्रज्वलित कर ’प्रज्ञानम-2013’ कार्यक्रम का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया। गौरतलब है कि कृष्ण कुमार यादव जवाहर नवोदय विद्यालय, जीयनपुर-आज़मगढ़ के पूर्व छात्र रहे हैं, ऐसे में उनकी उपस्थिति प्रेरणास्पद रही। 

   नवोदय विद्यालय समिति, लखनऊ सम्भाग की ओर से इस अवसर पर इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं, कृष्ण कुमार यादव को सम्मानित किया गया। सम्मान प्रदान करते हुए नवोदय विद्यालय समिति, लखनऊ सम्भाग के उपायुक्त श्री अशोक कुमार शुक्ला ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न कृष्ण कुमार यादव जवाहर नवोदय विद्यालय से सिविल सेवाओं में सफल होने वाले प्रथम व्यक्ति हैं, वहीं प्रशासन के साथ-साथ अपनी साहित्यिक व लेखन अभिरुचियों के चलते भी उन्होंने कई उपलब्धियाँ अपने खाते में दर्ज की हैं । उन्होंने श्री यादव को तमाम विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बताया और इस बात पर हर्ष जताया कि मुख्य अतिथि के रूप में नवोदय के ही एक पूर्व विद्यार्थी को पाकर हम सब अभिभूत हैं । इस अवसर पर श्री यादव ने जहाँ नवोदय में बिताए गए दिनों को लोगों के साथ साझा किया, वहीं जीवन में प्रगति के लिए विद्यार्थियों को तमाम टिप्स भी दिए।

इस अवसर पर नवोदय विद्यालय समिति, लखनऊ सम्भाग के उपायुक्त श्री अशोक कुमार शुक्ला ने कहा कि प्रज्ञानम के माध्यम से बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ सशक्त सांस्कृतिक, तत्वपूर्ण एवं मूल्यपरक शिक्षा पर्यावरण और शारीरिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा प्रदान करना ध्येय है। कार्यक्रम का संचालन जवाहर नवोदय विद्यालय, फिरोजाबाद की प्रधानाचार्या श्रीमती सुमनलता द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर तमाम विद्यालयों के प्रधानाचार्य, अध्यापकगण, शिक्षाविद, इत्यादि मौजूद थे। 

(पंकज मौर्य, सी-4 पोस्टल स्टाफ कालोनी, एल्गिन रोड इलाहाबाद-211001)

शुक्रवार, अगस्त 16, 2013

समाज व परिवेश को प्रतिबिंबित करती है फोटोग्राफी-कृष्ण कुमार यादव

श्री गंगा कल्याण समिति की ओर से दो दिवसीय नौवीं अखिल भारतीय लक्ष्मी छायाचित्र प्रदर्शनी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के निराला आर्ट गैलरी में 12 अगस्त को शुरू हुई। प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवायें, कृष्ण कुमार यादव ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद कहा कि इस तरह की छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन नियमित रूप से होना चाहिए। इससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है। डाक निदेशक श्री यादव ने कहा कि फोटोग्राफी एक विधा के साथ-साथ हमारे समाज और परिवेश का प्रतिबिंब भी है। मात्र आड़ी तिरछी लाइनें खींचनी ही फोटोग्राफी नहीं हैं बल्कि उसका यथार्थ भी निकलना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी राजशेखर ने फोटो प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन होना चाहिए जिससे कि कुछ नयापन लोगों को देखने को मिले। उन्होंने कहा कि छायाचित्र अपनी संस्कृति की पहचान को बढ़ावा देते हैं।  इससे अधिक से अधिक लोगों को जुड़ना चाहिए।

अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दृश्य कला विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 अजय जेतली ने कहा कि इलाहाबाद शुरू से ही साहित्यकारों, कलाकारो का कर्मक्षेत्र रहा है। इस शहर से सभी क्षेत्रों में लोगांे में पहचान भी बनायी है।

छायाचित्र प्रदर्शनी के सचिव जितेन्द्र प्रकाश ने प्रदर्शनी पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि अगले वर्ष से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के छायाकारों के भी छायाचित्र प्रदर्शनी में देखने को मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस बार छायाचित्र प्रदर्शनी में 119 फोटोग्राफरों की 1160 तस्वीरें आयी थीं। श्रीमती लक्ष्मी अवस्थी ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में वीरेन्द्र पाठक, एस के यादव, राजेश सिंह, पवन द्विवेदी, संजोग मिश्रा, विरेन्द्र प्रकाश, केनिथ जान, अनुराग अस्थाना, अमरदीप, रजत शर्मा, संजीव बनर्जी, संजय सक्सेना सहित बड़ी संख्या में छायाकार और अन्य लोग मौजूद रहे। संचालन वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष नारायण ने किया।